मित्रों, आज हम आप लोगों को पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के बारे में बताने वाले हैं अगर आप इस योजना के तहत लाभ उठाना चाहते हैं और आप जानना चाहते हैं कि पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना क्या है और पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं क्या हैं, पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के क्या लाभ हैं और पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत खुलने वाली लैब्स के क्या लाभ हैं, पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशालायें कौन स्थापित कर सकता है और पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशाला खोलने में कितना खर्च आता है, पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी कैसे खोलें और पीएम मृदा स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला खोलने के लिये जरूरी पात्रता क्या रखी गयी है, पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं और प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना में आवेदन कैसे करें, पीएम सॉयल हेल्थ कार्ड क्या है और मिट्टी के नमूने लेने के लिये कौन सी संस्था/व्यक्ति योग्य माना जाएगा, मिट्टी के नमूनों की जांच कौन करेगा और अपने खेत की मिट्टी का पीएम सॉइल हेल्थ कार्ड ऑनलाइन कैसे प्रिंट करें, यह सारी जानकारी हम आप लोगों को देंगे तो चलिए अब जान लेते हैं।
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना क्या है ?
आपको बता दें कि केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित एक ऐसी योजना के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। जिसका लाभ उठाकर किसान अपनी आमदनी तो बढ़ा ही रहे हैं और साथ ही नया रोजगार भी हासिल कर रहे हैं। इस योजना का नाम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना है। प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत देश भर के गांवों में मौजूद कृषि योग्य खेतों की मिट्टी की जांच की जाती है। मिट्टी की जांच से पता चलता है कि मिट्टी में किन-किन पोषक तत्वों की कमी है। यदि मिट्टी में किसी प्रकार की कोई बीमारी होती है तो उसकी रिपोर्ट जांच के बाद किसान को मिल जाती है। जिसके बाद किसान अपने खेत में पोषक तत्वों का छिड़काव करके तथा बीमारी दूर करने के लिये दवा आदि का छिड़काव भी कर सकता है। किसान के खेत में पोषक तत्वों तथा उर्वरकों की कमी पूरी हो जाती है तथा किसान को अच्छी उपज का लाभ प्राप्त होता है। मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना भारतीय किसानों के लिये किसी वरदान से कम नहीं है। मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत किसानों की आमदनी में कई गुना अधिक मुनाफा दर्ज किया जा रहा है। वहीं ग्रामीण स्तर पर बेरोजगार युवाओं को मृदा परीक्षण लैब बनाने के लिये सरकारी सहायता प्रदान की जा रही है। जो युवा अपने गांव में मृदा परीक्षण प्रयोगशाला खोलने के इच्छुक हैं उन्हें केंद्र सरकार के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के द्वारा 3.75 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती है।
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना की मुख्य विशेषताएं क्या हैं ?
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत किसानों को पीएम मृदा स्वास्थ्य कार्ड बना कर दिये जाएंगें जो 2 साल के लिये वैध होगा.
- यह योजना देश के सभी राज्यों में लागू है तथा देश के सभी किसान इस योजना का लाभ उठा रहे हैं.
- इस योजना के तहत मिट्टी की जांच करने के बाद किसानों को इस बात की जानकारी दी जाएगी कि उनके खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों तथा उर्वरकों की कमी है तथा उन्हें किस मात्रा में यूरिया/नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व अपने खेतों में डालने हैं.
- इस योजना के लांच होने के बाद से किसानों की उपज बढ़ी है तथा ग्रामीण स्तर पर नये रोजगार का सृजन भी हुआ है.
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के क्या लाभ हैं ?
- पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत किसानों को बड़े पैमानें पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड बना कर दिये जा रहे हैं। इन हेल्थ कार्डों का उपयोग किसान अपने खेत की मिट्टी के नमूनों का परीक्षण कराने में करते हैं.
- इस योजना के तहत गांव के बेरोजगार युवाओं को मृदा परीक्षण लैब खोलने के लिये 3.75 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है.
- पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना लागू हो जाने के बाद किसानों के मुनाफे में 30,000 रूपये तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है.
- मृदा परीक्षण से किसानों को समय से यह पता चल जाता है कि उनके खेत में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी हो रही है.
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के लांच होने के बाद से सूरजमुखी की खेती करने में 25,000 रूपये प्रति एकड़ आमदनी में इजाफा हुआ है। कपास में प्रति एकड़ 12,000 रूपये तथा मूंगफली की खेती में प्रति एकड़ 10,000 रूपये की बढ़ोत्तरी हुई है.
- मृदा परीक्षण के बाद यह ठीक-ठीक पता चल जाता है कि खेत में कौन-कौन से उर्वरक कितनी मात्रा में डालने हैं। प्राप्त डाटा के अनुसार यूरिया तथा नाइट्रोजन से उर्वरकों की काफी बचत होती है। पहले किसान अंदाज से उर्वरक डालते थे लेकिन अब जांच के बाद निर्धारित मात्रा में ही उर्वरक डालते हैं.
- मृदा परीक्षण के बाद निर्धारित मात्रा में उर्वरक डालने से फसलों की उत्पादकता में भारी वृद्धि दर्ज की जा रही है। धान के उत्पादन में 10-20 प्रतिशत, कपास के उत्पादन में 10-20 प्रतिशत, दलहन के उत्पादन में 10-30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की जा रही है.
- पीएम मृदा परीक्षण योजना के तहत हर 2 साल में किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये जाते हैं.
- भारत में मृदा परीक्षण के तहत 3.33 करोड़ नमूनों की जांच प्रति वर्ष की जाने लगी है.
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत खुलने वाली लैब्स के क्या लाभ हैं ?
- किसान समय पर तथा अपने गांव के भीतर ही मिट्टी के नमूनों का परीक्षण करा सकेंगें.
- मिट्टी की जांच होने के बाद किसानों को कमी का पता चल जाएगा, जिसकी पूर्ति करने के बाद वह अच्छी पैदावार का लाभ उठा सकेंगें.
- मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में रासायनिक पद्धति से मिट्टी की जांच की जाएगी, जिसके बाद जांच रिपोर्ट भी किसानों को दिये जाने का प्रावधान है..
- मृदा परीक्षण लैब चलाने वाले युवा मिटटी की जांच करके अच्छी कमाई कर सकेंगें, जिससे गांवों से शहरों की ओर होने वाला पलायन रूकेगा.
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशालायें कौन स्थापित कर सकता है ?
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशालायें यह स्थापित कर सकता है जैसे गांव के पढ़े लिखे बेरोजगार युवा, विज्ञान वर्ग अथवा कृषि विज्ञान में स्नातक युवा, स्वयं सहायता समूह, कृषक समूह, कृषक उत्पादक संगठन और किसान सहकारी समितियां।
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशाला खोलने में कितना खर्च आता है ?
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत प्रयोगशाला खोलने का कुल खर्च करीब 5 लाख रूपये के आसपास बैठता है। इसमें से केंद्र का कृषि विभाग आपको 3.75 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करता है और बाकी रकम आपको अपने स्रोतों से खर्च करनी पड़ती है।
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी कैसे खोलें ?
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत ग्रामीण स्तर पर सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी खोलने के लिये जरूरी है कि आपके पास पहले से स्वयं की अथवा किराये पर पक्की दुकान हो। इसके अलावा यदि आप मोबाइल सॉइल टेस्टिंग वैन के रूप में अपनी प्रयोगशाला खोलना चाहते हैं तो आपके पास एक वैन का होना बहुत आवश्यक है। वैन तथा दुकान का प्रबंध हो जाने के बाद ही आप सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी खोलने के लिये आवेदन कर सकते हैं।
पीएम मृदा स्वास्थ्य परीक्षण प्रयोगशाला खोलने के लिये जरूरी पात्रता क्या रखी गयी है ?
- भारत के मूल निवासी ही इस योजना के लिये पात्र हैं.
- बेरोजगार युवक-युवतियों का संबंध किसान परिवार से होना आवश्यक है.
- ग्रामीण बेरोजगार युवा पात्रता संबंधी नियमों पर पूरी तरह खरे उतरते हैं.
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना में 18 से 40 वर्ष की आयु के युवा पात्र मानें जाते हैं.
पीएम मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज क्या हैं ?
- आधार कार्ड.
- कृषि विज्ञान में उत्तीर्ण अंकतालिका.
- मूल निवास प्रमाण पत्र.
- कृषि भूमि की खसरा खतौनी की नकल.
- मोबाइल नंबर.
- पासपोर्ट साइज फोटो.
प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना में आवेदन कैसे करें ?
प्रधानमंत्री मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत यदि आप सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी खोलना चाहते हैं तो इसके लिये आपको अपने जिले के उपनिदेशक कृषि अथवा संयुक्त निदेशक कृषि से उनके कार्यालय में जाकर संपर्क करना होगा। कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा ही आपको मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना के तहत सॉइल टेस्टिंग लेबोरेटरी खोलने के लिये निर्धारित फॉर्म उपलब्ध कराया जाएगा। जिसे भरकर तथा उसके साथ सभी जरूरी दस्तावेजों को संलग्न करने के बाद आप अपने आवेदन पत्र को जिले के कृषि विभाग में जमा कर सकते हैं।
पीएम सॉयल हेल्थ कार्ड क्या है ?
पीएम सॉयल हेल्थ कार्ड एक प्रकार की प्रिंटेड रिपोर्ट है जो किसान को सभी जोत के लिये दी जाती है। इस रिपोर्ट में 12 पैरामीटर होते हैं जैसे मुख्य पोषक तत्व, सल्फर, जिंक फेरस, कॉपर, मैग्निशियम, बोरॉन तथा भौतिक पैरामीटर मे पीएच, ईसी, ओसी से संबंधित पूरी जानकारी दर्ज होती है। इस हेल्थ कार्ड में जांच के उपरांत किसानों को सुझाये गये उपाय भी प्रिंट होते हैं।
मिट्टी के नमूने लेने के लिये कौन सी संस्था/व्यक्ति योग्य माना जाएगा ?
- राज्य सरकार के कृषि विभाग के कर्मचारी.
- आउटसोर्स एजेंसी के स्टॉफ.
- राज्य सरकार क्षेत्रीय कृषि महाविद्यालयों अथवा साइंस कॉलेजों के विद्यार्थियों के द्वारा भी नमूनों का संग्रह कराने के लिये स्वतंत्र है.
मिट्टी के नमूनों की जांच कौन करेगा ?
- कृषि विभाग की देखरेख में एसटीएल पर स्वयं के विभागीय कर्मचारी.
- कृषि विभाग की देखरेख में एसटीएल पर बाहरी सोर्स ऐजेंसी के स्टॉफ के द्वारा.
- बाहरी सोर्स ऐजेंसी स्वामित्व एसटीएल पर और उनके स्टॉफ के द्वारा.
- केवीके व एसएयू सहित आईसीएमआर संस्थानों पर.
- किसी प्रोफेसर/वैज्ञानिक की निगरानी में विज्ञान कॉलेज/यूनिवर्सिटियों की प्रयोगशालाओं में छात्र-छात्राओं के द्वारा.
अपने खेत की मिट्टी का पीएम सॉइल हेल्थ कार्ड ऑनलाइन कैसे प्रिंट करें ?
अपने खेत की मिट्टी का पीएम सॉइल हेल्थ कार्ड ऑनलाइन प्रिंट करने की प्रक्रिया इस प्रकार है। सबसे पहले आपको आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। सॉइल हेल्थ कार्ड का प्रिंट आउट निकालने के लिये आप इस लिंक पर क्लिक करें। आप जैसे ही ऊपर दिये गये लिंक पर क्लिक करेंगें वैसे ही आप कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण वेबसाइट के होम पेज पर पहुंच जाएंगें। यहां आपको दायीं तरफ नीचे की ओर अपनी मिट्टी के स्वास्थ्य कार्ड प्रिंट करें का एक विकल्प दिखाई देगा। आपको इस विकल्प पर क्लिक करना है। आपके द्वारा विकल्प पर क्लिक करते ही अगला पेज ओपन होता है। अब सबसे पहले आप अपने राज्य का चयन करें, जिला चुनें, तहसील चुनें, किसान का नाम डालें, ग्राम ग्रिड नंबर भरें, नमूना नंबर डालें और फिर अंत में सर्च बटन पर क्लिक करें। आपके द्वारा इतना करते ही आपकी मिट्टी से संबंधित सॉइल हेल्थ कार्ड सामने आ जाता है। अब आप इसका प्रिंट आउट निकाल सकते हैं।
Official Website – https://soilhealth.dac.gov.in/